Last modified on 10 अगस्त 2012, at 16:01

भाषा-माध्यम / अज्ञेय

 एक अहंकार है जिस में मैं रहता हूँ
जिस में (और जिसे!) मैं कहता हूँ
कि यह मेरा अनुभव है
जो मेरा है, मेरा भोगा है, मेरा जिया है :
और एक इस सच का स्वीकार है
कि यह जो ज्ञान भी है
इस की पहचान अभी
माध्यम एक मुहावरा है जो तुम्हारा दिया है!

नयी दिल्ली, 8 मई, 1980