Last modified on 29 जून 2017, at 10:51

भींत / दुष्यन्त जोशी

आपां सगळा
'इगो' सारू लड़ां
अर अेक दूजै रै बिचाळै
खींचद्यां भींत

जकी
बधै रातोरात
मैं'गाई ज्यूं

पछै
भळै 'इगो' टकरावै
तद
भींत
कीं' और बध ज्यावै।