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भूकंप / कस्तूरी झा 'कोकिल'

(पत्नी केॅ नाम चिट्ठी)

हम्में (यहाँ) सबकोय नीकेॅ छीयै,
ठीके-ठाक मकान जी।
तोहें चिन्ता कुछ नै करि हौ,
तोंही हमरॅ प्राण जी।
देश गाँव सबलागी गेल छै मिलतै रोटी भात जी।
छटपटाय के दिन गुजरै छै, जागी-जागी रात जी।
नेपाल पड़ोसी छीकै अपनो
सबदिन आदर मान जी।
साथैं साथैं जीबै मरबै,
देखतै सकल जहान जी।
खुशियाली ताँय देथै रहबै, रंग-बिरंग सौगात जी।
छटपटाय के दिन गुजरै छै, जागी-जागी रात जी।

25/04/15 पूर्वाहन 11.41 भूकम्प रचना 28/04/15