मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
भोला नेने चलू हमरो अपन नगरी
अपन नगरी यो कैलास पुरी
पारबती के हम टहल बजायब
नित उठि नीर भरब गगरी
बेलक पतिया फूल चढ़ायब
नित उठि भांग पिसब रगड़ी
भनही विद्यापति सुनू हे मनाइनि
इहो थिका दानीक माथक पगड़ी
भोला नेने चलू हमरो अपन नगरी
अपन नगरी यो कैलास पुरी
पारबती के हम टहल बजायब
नित उठि नीर भरब गगरी
बेलक पतिया फूल चढ़ायब
नित उठि भांग पिसब रगड़ी
भनही विद्यापति सुनू हे मनाइनि
इहो थिका दानीक माथक पगड़ी