भौजी / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

भौजी अयलै हमरोॅ अंगना में चाँदनी बनी केॅ।
सभ्भे भाय-बहिन के अरमान बनी केॅ।
सौसे घर परिवारोॅ के सम्मान बनी केॅ।
भौजी अयलै हमरोॅ अंगना में चाँदनी बनी केॅ ।

प्रेम से होय छै दुनिया बस में
भौजी पानी बानी गेलै सच में
सब में मिली गेलै, सभ्भै के जान बनी केॅ।
भौजी अयलै हमरोॅ अंगना में चाँदनी बनी केॅ।
 
घरोॅ के रीति-रिवाज में रंगलै,
भौजी घर मेॅ पारस बनलै,
हमरोॅ गुण-शील निखारी देलकै ज्ञान बनी केॅ,
भौजी अयलै हमरोॅ अंगना में चाँदनी बनी केॅ।

भौजी हमरोॅ बसंती बयार,
सुख के भोर, हँसी के सार,
ध्यान राखै छै देवी समान बनी केॅ,
भौजी अयलै हमरोॅ अंगना में चाँदनी बनी केॅ।

भौजी संग सुख-दुख बाँटलिए,
संग सुंदर सपना सजैलियै,
अब तेॅ माय रँ भौजी लागै छै, एक्के प्राण बनी के
भौजी अयलै हमरोॅ अंगना में चाँदनी बनी केॅ।

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