राजस्थान के एक सीमावर्ती कस्बे रायसिंहनगर (श्रीगंगानगर) रह रहे डा० मंगत बादल काव्य, महाकाव्य, प्रबंध काव्य, कविता, कहानी, व्यंग्य तथा संपादन सहित अनेक विधाओं में अनेक पुस्तके रच चुके हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में रेत री पुकार, दसमेस, मीरां, मत बांधो आकाश, शब्दों की संसद, इस मौसम में, हम मनके इक हार के, सीता, यह दिल युग है व कैकेयी है। सुधीर पुरस्कार व सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार सहित वर्ष 2010 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार 'मीरां' (प्रबंध काव्य) के लिए घोषित हुआ है, आप अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं. महाविद्यालय से सेवानिवृत होकर वर्तमान में स्वतंत्र लेखन