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मंगलसूचक उपदेश / रमापति चौधरी

बेटीक विदाईक अवसर पर मंगलसूचक उपदेश


दुहुकुल तारिणी पुत्रि अहां छी, दुहुकुल प्रेमक आशा।
दुहुकुल गौरवदात्रि अहां छी, अछि एतवय प्रत्याशा॥

एतवा दिन संगहि रहि सबहक, प्रीति अनेको जोड़ल।
मातु-पिता, परिवार, सहोदर, आई सबहुंकें छोड़ल॥

जाउ पुत्रि अपना ससुरालय, अछि संसारक रीति।
खुशी रहू, पुष्पित भए सब दिन, जोड़ि परस्पर प्रीति॥

सुख सौभाग्य बनल रहए सबदिन, अचल रहए अहिवात।
आशीर्वचन सबहुं मिलि दै छी, हुअए सुन्दर प्रात॥

सेवा-धर्म ध्यान मे राखब, आओत सबदिन काज।
अधिक कहू की, सुधि नहि बिसरब, राखब नैहरिक लाज॥

दम्पति युगल रहब हिलि-मिलि कें, एक ह्रदय दुइ देहे।
बनि आदर्श जगत बिच, दुहु मिलि करु उज्जवल सबगेहे॥

दुहुकुल तारिणी पुत्रि अहां छी, दुहुकुल प्रेमक आशा।
दुहुकुल गौरवदात्रि अहां छी, अछि एतवय प्रत्याशा॥