मछलियों से
मुझे इतना प्रेम था कि
मैं बन गया मछुआरा
मैंने जाल बुनना सीखा
उसे कंधे पर रख कर
नदी–नदी घूमता रहा
तालो पर डाले डेरे
हमेशा रंग–बिरंगी मछलियों के बारे में
सोचता रहा
वे पानी में नहीं स्वप्न में दिखाई
देती थीं
जहाँ भी जाल डाले
मछलियों ने दिया धोखा
वे दूसरों के जाल में फँसती रहीं
मैं कुशल मछेरा नहीं बन पाया
अपने बनाए जाल में
फँस गया