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मण्डला / ज्योति शर्मा

रोज़ देखती हूँ मध्यप्रदेश के नक़्शे पर
कहाँ है मण्डला
यात्रा से ज़्यादा रोमांचक है
उसके बारे में सोचना
मण्डला की नदी में नहाने का सपना देखते देखते
भीग जाती हूँ पसीने से
दोपहर सोते हुए देखा मैंने एक बाघ
तुम मण्डला के जंगलों के हो न
मैंने पूछा
उसने कहा नहीं वह तो रजा के चित्रों का बाघ है
मैंने कहा वह तो ऐसे चित्र बनाते ही नहीं थे
बाघ हो जिनमें
उसने कहा ढूँढो उसे रजा के चित्रों में
मैंने उस बाघ को ध्यान से देखा
बरसों पहले बिछड़ा जैसे कोई मेरा
उसका नाम मण्डला ही है
उसे मण्डला ही पुकारोए नीलमाधव