वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोहर अभय का जन्म 3 अक्टूबर 1937 को तत्कालीन अलीगढ़ जिले के नगला जायस नामक गाँव में हुआ। पिता स्वर्गीय बाँके लाल शर्मा और परम वैष्णवी माता स्वर्गीय राजेश्वरी देवी की प्रथम संतान डॉ.अभय ने वाणिज्य में पीएचडी के अतिरिक्त एलटी, साहित्यरत्न और आचार्य की उपाधि अर्जित की। ग्यारह वर्ष तक मथुरा के निकट स्थित राष्ट्रीय इण्टर कॉलेज में अध्यापन के बाद, हरियाणा के राज्यपाल के लोक संपर्क अधिकारी का कार्यभार सम्हाला। तत्पश्चात इक्कतीस वर्ष तक अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था आईपीपीएफ लन्दन के भारतीय प्रभाग (एफपीए इंडिया) में विभिन्न वरिष्ठ पदों पर कार्य करते हुए संस्था के सर्वोच्च पद (महासचिव) से 2004 में अवकाश ग्रहण किया। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सभा-सम्मेलनों कार्यशालाओं, परिसंवादों में प्रतिनिधि वक्ता के रूप में आपनेचीन, जापान, कम्बोडिया, इजिप्ट श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैंड तथा भारत के प्रायः सभी महानगरों, ग्रामीण क्षेत्रों, आदिवासी अंचलों का सर्वेक्षण-अध्ययन-प्रशिक्षण-मूल्यांकन हेतु परिभ्रमण किया
डॉ.अभय की प्रथम कहानी 1953 में प्रकाशित हुई. वर्ष 1956 में हिन्दी प्रचार सभा, सादर, मथुरा की स्थापना की। उन्होंने हस्तलिखित पत्रिका 'नव किरण' से लेकर संस्था के मुखपत्र हिमप्रस् के अतिरिक्त ग्राम्या, माध्यम, पेन, जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के साथ बीस पुस्तकों का सम्पादन-प्रकाशन किया। शोधपत्र, कहानियाँ, कविताएँ, हाइकु, दोहे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। एक चेहरा पच्चीस दरारें, दहशत के बीच (कविता संग्रह) , सौ बातों की बात (दोहा संग्रह) , आदमी उत्पाद की पैकिंग हुआ (समकालीन गीत संग्रह) के अतिरिक्त श्रीमद्भगवद्गीता की हिन्दी-अंग्रेजी में अर्थ सहित व्याख्या, रामचरित मानस के सुन्दर कांड पर शोध-प्रबंध (करि आये प्रभु काज) , अपनों में अपने (आत्म कथा) आपकी विशष्ट कृतियों में हैं। साहित्यिक सेवाओं के लिए महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी ने 2014 में डॉ.अभय को संत नामदेव पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त राष्ट्र भाषा गौरव, काव्याध्यात्म शिरोमणि, सत्कार मूर्ती आदि अनेक अलंकारों से अलंकृत डॉ.अभय स्वतंत्र लेखन के साथ नवी मुम्बई से प्रकाशित ' अग्रिमान नामक साहित्यिक पत्रिका के प्रधान संपादक हैं।
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डॉ मनोहर अभय
आर.एच-111, गोल्डमाइन
138-145, सेक्टर-21, नेरुल, नवी मुम्बई-400706.