Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 07:38

मरम / कन्हैया लाल सेठिया

कोनी ऊजलै
बळयां
लाय में
सत्

कोनी हुवै
बदल्यां
भेख
संत,

सती बा
जकी झालै
सत री झल,

संत बो
जको गाळै
गरब रो मळ,

करै मोटी
माटी नै
माटी रो करम

माटी बा
जकी संवेदै
माटी रो मरम !