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मर्सिया / हरकीरत हकीर

जब भी उठता है
धुआँ लफ़्ज़ों में

ज़िस्म की
चिता जलने लगती है
धीरे-धीरे हवाएँ गाने लगतीं हैं
मर्सिया....