मिनिट मिनिट की मशक्कत से
वेतन का सवेरा पाता हूँ
और महँगाई की रात में
न चाह कर भी
नंगा हो जाता हूँ
ज़माना ज़िन्दगी को चीर कर
धज्जियों की सजावट में
मन लगाता है
मशक्कत की आँखे लाल हैं
रात को सो नहीं पाता
और इस दिन में भी
दिन!
हो नही पाता !!