ईंट और सीमेंट के इस जंगल में
हैरानो-परेशान सा मैं घूम रहा हूँ
कोई जुबां खोले, कोई आवाज तो दे
मैं सदियों से यहां इंसां का पता पूछ रहा हूँ
ईंट और सीमेंट के इस जंगल में
हैरानो-परेशान सा मैं घूम रहा हूँ
कोई जुबां खोले, कोई आवाज तो दे
मैं सदियों से यहां इंसां का पता पूछ रहा हूँ