तुम्हारा आँचल
कितना बडा़ था माँ
समा जाते थे जिसमें
मेरे सारे खेल
सारे सपने
सारी गुस्ताखियाँ...
मेरा दामन
कितना छोटा है माँ
नहीं समा पाता जिसमें
तुम्हार बुढा़पा...
तुम्हारा आँचल
कितना बडा़ था माँ
समा जाते थे जिसमें
मेरे सारे खेल
सारे सपने
सारी गुस्ताखियाँ...
मेरा दामन
कितना छोटा है माँ
नहीं समा पाता जिसमें
तुम्हार बुढा़पा...