पाठ ममता का
ज़माने को पढ़ा कर रह गयी माँ
पालने से गिरी बिटिया
छटपटाकर रह गयी माँ
बहन-बेटी-प्रेमिका-
पत्नी सदृश संबंध कितने
एक अल्हड़ सी किशोरी
में रहे व्यक्तित्व कितने
पर तिरोहित हो गये सब
शेष केवल रह गयी माँ।
खेलना छपकोरिया
नल खोलकर पानी गिराकर
फेंकना सामान सारा
आलमारी से उठाकर
सैकड़ों "बम्माछियों" पर
मुस्कुराकर रह गयी माँ।
रोज साड़ी और गहने
के लिये मनुहार छूटा
शौक छूटे और फ़ैशन
अन्त में श्रृंगार छूटा
लाडली के वास्ते खुद को
भुलाकर रह गयी माँ।