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माई / शमशेर बहादुर सिंह

तरु गिरा
जो--
झुक गया था, गहन
छायाएँ लिये।

अब
हो उठा है मौन का उर
और भी मौन...
दुख उठा है करुण सागर का हृदय,
साँझ कोमल और भी अपनाव का...
आँचल
डलती है दिवस के
मुख पर।

2

बोलती थी जो उदासी की -
बहन-सी; माँ, थकी:
आज वह चुप है, शांत है, अति ही...
शांत है।
होंट में सो गये शब्‍द,
भाव में खो गये स्‍वर,
एक पल हो गया कितने अब्‍द !

मौन है घर

पूछती है माई
एक बात:
(स्‍वप्‍न में वह आयी)
हँसी लिये
जागरण की रात)
कौन बात?

(1945)

स्वर्गीया श्रीमती कल्याणीबाई सैयद, प्रसिद्ध नर्स और बंबई की पुरानी कांग्रेस कार्यकत्री; अनंतर कम्युनिष्ट। दिसंबर 45 में दिवंगत।