तुम्हारे होंठ
जैसे एक गुलाबी तितली,
उड़ती हुई
एक लफ़्ज़ से
दूसरे लफ़्ज़ को,
और मैं भागता हुआ
उनके पीछे
ख़ामोशी के
बग़ीचे में।
(काहिरा - जून 2003)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल
तुम्हारे होंठ
जैसे एक गुलाबी तितली,
उड़ती हुई
एक लफ़्ज़ से
दूसरे लफ़्ज़ को,
और मैं भागता हुआ
उनके पीछे
ख़ामोशी के
बग़ीचे में।
(काहिरा - जून 2003)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल