ऊब कर उन सबसे जो मिलते हैं तमाम शब्दों के साथ
शब्द, मगर कोई भाषा नहीं,
चला जाता हूँ मैं बर्फ से ढंके हुए द्वीप पर
कोई शब्द नहीं होते आदिम लोगों के पास
सादे कागज़ फैले हुए हर तरफ !
अचानक बर्फ में दिखते हैं हिरन के खुरों के निशान
भाषा, मगर कोई शब्द नहीं.
(अनुवाद : मनोज पटेल)