Last modified on 13 नवम्बर 2022, at 00:35

मिलना / नरेश गुर्जर

पहली बार मिलने पर
उसने मुझसे
मेरी कविताओं के बारे में बात की

दूसरी बार
किताब के बारे में

और तीसरी बार
मेरे बारे में

चौथी बार वो
चुप रही

बस मेरी उल्टी हथेली पर
उसने अपना हाथ रख दिया
और कंधे पर सर

उस दिन वो मुझसे नहीं
मैं उससे मिला था।