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मिलन / निदा नवाज़

उसने परोस लिया
होंठों में मेरे
होंठ भर नमक
मेरे स्पर्श से
उसके शरीर में
खिल उठी
गुलाब की पंखुड़ियां
उसमें फैल गई
ऊन की सी नरमी
और सौम्य तपन.