जिला फतोहाबाद के जांडली गांव में साधारण किसान परिवार में 23 जून, 1915 को जन्म। जांडली गांव में अनपढ़ता को दूर करने के अभियान में पढ़ना लिखना सीखा। हरिचंद जी के संपर्क में आने से इनकी रचनाएं श्रृंगारिकता से सामाजिक सरोकारों से जुड़ी। छुआछूत, अंधविश्वास, धार्मिक पाखंड पर इनकी रागनियां खूब लोकप्रिय हुईं। 1 नवंबर, 1950 को देहावसान। छायाचित्र उपलब्ध नहीं।