Last modified on 10 जून 2011, at 10:08

मुमकिन है / नील कमल

मुमकिन है यह भी
कि नामुमकिन न रहे कुछ भी ।

कंधे से बित्ता-भर नीचे
जरा बाँए हट के
वह मुट्ठी भर माँस का लोथड़ा,

सौ करोड़ सीनों में
एक साथ धड़के !

एक गति
एक ताल
एक छंद
एक नियम
एक बंद !

सौ करोड़ कंधों के ऊपर
संवेदनशील किन्तु सख़्त
आँख-नाक-कान-जीभ वाली
वह गोल-भारी चीज़
प्लावित हो भीतर से

और गहन तन-मन में
गर्म लहू का विप्लव
आए, यह मुमकिन है ।

मुमकिन है यह भी ... ।