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मुर्दे / सरोज कुमार

गड़े मुर्दो में
जिन्दा आदमियों से
ज्यादा ताक़त होती है,
उन्हें उखाड़- उखाड़ कर
मैं सजाता हूँ
अपनी अक्षौहिणी!

सबके भीतर
बसे हैं कब्रिस्तान!
गड़े मुर्दे
हमेशा जिन्दा रहते हैं!