मैं दुखों की छैनी से
तराशता हूँ अपनी
जीवन शिला
और एक दिन
खड़ी हो जाती है
मेरे समक्ष
स्वयं मेरी मूर्ति
दुखों की नाशक बनकर.
मैं दुखों की छैनी से
तराशता हूँ अपनी
जीवन शिला
और एक दिन
खड़ी हो जाती है
मेरे समक्ष
स्वयं मेरी मूर्ति
दुखों की नाशक बनकर.