आज भी पेट पर
पट्टी बाँध
मेरा देश
पचा गया अपनी भूख ।
और देर तक देखता रहा चूल्हे की ठण्डी
राख ।
जबकि हम तृप्ति पा रहे थे
डकारों में...!!
आज भी पेट पर
पट्टी बाँध
मेरा देश
पचा गया अपनी भूख ।
और देर तक देखता रहा चूल्हे की ठण्डी
राख ।
जबकि हम तृप्ति पा रहे थे
डकारों में...!!