तुमने कहा
कि यह गुलदुम बुलबुल है
मैंने मान लिया
पल भर
लेकिन मेरे लिए तो
आज भी यह
वही बुलबुल है जो
रहती है
जोड़े से
आंगन के नीम पर
कभी-कभी
चहकती हुई
कूदती-फाँदती
चली आती है
आम व जामुन
पर भी
और देखती है
मेरी ओर
अपना सिर
तिरछा किए
बड़ी नाजो-अदा के साथ
प्यार से पुकारती है
दीऽऽऽऽऽप!