इस शहर में
हवा ज़हर लिये होती है
उम्मीदें टूटती हैं
विधवा की चूड़ियों की तरह
इस शहर में
गर्भपात लिये बहती है नहर
चुनाव बाद की घड़ियों की तरह
वायदे भुलाए जाते हैं ।
इस शहर में
हवा ज़हर लिये होती है
उम्मीदें टूटती हैं
विधवा की चूड़ियों की तरह
इस शहर में
गर्भपात लिये बहती है नहर
चुनाव बाद की घड़ियों की तरह
वायदे भुलाए जाते हैं ।