मैंने चाहा
तुम्हारी प्रेरणा बनकर
बहूँ
तुम्हारी शिराओं में
तुम्हारे अहंकार ने
ऐसा नहीं होने दिया
मैंने फिर चाहा
तुम्हारी कोई कमजोरी ही बनकर
तुम्हारे पास रहूँ
तुम्हारे पराजय बोध ने ऐसा भी नहीं होने दिया।
मैंने चाहा
तुम्हारी प्रेरणा बनकर
बहूँ
तुम्हारी शिराओं में
तुम्हारे अहंकार ने
ऐसा नहीं होने दिया
मैंने फिर चाहा
तुम्हारी कोई कमजोरी ही बनकर
तुम्हारे पास रहूँ
तुम्हारे पराजय बोध ने ऐसा भी नहीं होने दिया।