Last modified on 1 अप्रैल 2014, at 15:46

मैंने पूछा / भवानीप्रसाद मिश्र

मैंने पूछा
तुम क्यों आ गई
वह हँसी

और बोली
तुम्हें कुरूप से
 बचाने के लिए

कुरूप है
ज़रुरत से ज़्यादा
धूप

मैं छाया हूँ
ज़रूरत से ज़्यादा धूप
कुरूप है ना?