मैंने सारे जगत की स्याही घोंट ली है
मैंने कालवृक्ष की टहनी तोड़ ली है
उसका सद्यजात माथा नीचे झुकता है
मेरी अनामिका का सर्पदंश सहता है
मैंने सारे जगत की स्याही घोंट ली है
मैंने कालवृक्ष की टहनी तोड़ ली है
उसका सद्यजात माथा नीचे झुकता है
मेरी अनामिका का सर्पदंश सहता है