मोर की कलगी तो देखो
जैसे हो वह कोई ताज
कोयल की कू-कू तो सुन
जैसे बजता हो कोई साज
बगुला कैसे मछली पकड़े
यह कैसा है उसका राज
कितने तरह तरह के पक्षी
अलग-अलग इनका अंदाज़।
मोर की कलगी तो देखो
जैसे हो वह कोई ताज
कोयल की कू-कू तो सुन
जैसे बजता हो कोई साज
बगुला कैसे मछली पकड़े
यह कैसा है उसका राज
कितने तरह तरह के पक्षी
अलग-अलग इनका अंदाज़।