मोर पिछुअरवा बइलिया, त हहर-हहर करे डार।
अरी हो, जरी से कटइबों हो बइलिया, त नींद नाहीं आवेला हो।।१।।
जरी से कटइबों त बइलिया, कि नींद नाहीं आवेला हो।
अरी हो, तहीं पर पलंगा हो बिछाइब, बेनिया हो डोलाइब हो।।२।।
केही मोरे सूतिहें अटरिया, केही मोरे गज ऊपर हे।
अरी, केही मोरे सूतिहें महलिया, त कइसे के जगाइब हो।।३।।
सासू मोरे सूतिहें अटरिया, ननद गज ऊपर हे।
अरी हो, सइयाँ मोरे सूतिहें महलिया, त कइसे के जगाइब हो।।४।।
उठहु लहुरी ननदिया, त आपन भइया के जगावहु हे।
अरी हो, चारहीं चोर घर घूसे के दीयना जरावेला हो।।५।।
केही मोरा चोरवा के मारे, केही रे गरिआवेला हे।
अरी हो, केही मोर चोरवा के बान्हेला, हाजीपुर भेजावेला हो।।६।।
ससुर मोरे चोरवा के मारे, भसुर गरिआवेला हे।
अरी हो, सइयाँ मोर चोरवा के बान्हे, हाजीपुर भेजावेला हो।।७।।