Last modified on 31 जनवरी 2011, at 06:00

यात्रा-1 / प्रेमजी प्रेम

यात्रा का मार्ग
जब-जब भी पूछा
लोगों ने बताया-
अलग-अलग ।
मैं, बिना बताएं ही
इस मजिल तक
आ पहुंचा हूं ।

अनुवाद : नीरज दइया