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युगांत / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

खंजन नें
खंजनी सें कहलकै
जेकर संवेदा मैर गेलै
आँसू सूख गेलै
जे मानवता भी भूल गेलै
आयकल
वहै आदमी कहाबै छै।