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यूरिन टेस्ट / शम्भुनाथ मिश्र

डाक्टर साहेबकेर क्लीनिकपर लागल छल बड़ भीड़
किछु छल चुप्पा, केओ बजन्ता, किछु छल बौक-बहीर
छलै जाँच-घर विविध प्रकारक करा रहल सब जाँच
रोगीसँ बेसी सहयोगी ककरो मन छौ-पाँच

जाँच कराबय खातिर पहुँचय रंग-विरंगक लोक
ककरहु मनमे छल प्रसन्नता ककरहु मनमे शोक
जाँच करायब, स्वस्थ होयत मन, तेँ किछु लोक प्रसन्न
जीब मरब की होयत कहि नहि, तेँ छल किछु जन सन्न

कोनहुँ रोगी खून जँचाबय क्लीनिकपर छल गेल
टी.सी, डी.सी. जाँच कराबक नम्मरमे लगि गेल
आगत क्रममे एहू रोगीकेर भेलैक पुकार
आयल नम्मर शीघ्र अपन सुनि, स्वप्न भेलै साकार

अपन नाम सुनितहिँ ओ रोगी चट दय भीतर गेल
किन्तु तुरन्ते जाँचक घरसँ कनिते बाहर भेल
कनिते बाजल जाँच करत की आङुर देलक काटि
बाहर तोँ निकलह जनपिट्टे लेतह मारि के बाँटि?

आङुर जकर कटल छल से पुनि कानि चुप्प भय गेल
किछु बाजल दुर्योग एकर छल अपना कर्मक खेल
ताबत कुर्सीपर बैसल क्यौ लागल बड़ चिचिआय
छाती पीटि बजाबय लागल अरे बाप, गय माय

कानब सूनि जतेक लोक छल लागल सब चकुआय
ककरो कटलै आङुर तै लय एकरा किए कनाय
घेड़ि लोक सब पूछय लागल अपने बाजू बाउ
किए रहल छी कानि अहाँ से कहबामे न लजाउ

हिँचुकि-हिँचुकि कय लागल कानय, बाजय किछु न फुरैछ
कोन लग्नमे अयलहुँ हम ताही लय हृदय फटैछ
जाँच कराबी वा न कराबी से नहि बुझा रहल अछि
कोन फोरमे पड़ि गेलहुँ हम से नहि सुझा रहल अछि

खूनक जाँच कराबहिमे छै आङुर ओकर कटायल
कोन जाँचमे कथी कटै छै दृष्टि हमर फड़िछायल
की कपारमे लिखल विधाता से नहि जानि रहल छी
यूरिन टेस्ट कराबक अछि चिन्तासँ कानि रहल छी