धरती की तरह
सह जाता
नदी की तरह
बह जाता
चिड़िया की तरह
कह जाता
तो दुख की तरह
रह जाता
मैं भी
मन में और जीवन में!
धरती की तरह
सह जाता
नदी की तरह
बह जाता
चिड़िया की तरह
कह जाता
तो दुख की तरह
रह जाता
मैं भी
मन में और जीवन में!