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राग वाणी / कमल दास


कबहु न गथे मेरा विषयुँकी बानि ।।ध्रु.।।
विना काया छाया नाहि जीव विना ईश्वर नाहि ।।कब।।१।।
जलथल भुवनमे कारण नाहिँ ।।
हरी करुणा स् पार लगानी ।।कब।।२।।
कमलुके पत्तामे लागे नहिँ पानी ।।
अम्बर पुरम् पवन मीलानि ।।कब।।३।।
कमल दास श्यामदिल करुणाकर स्वामि ।।
अलख नीरन्जन अन्तरयामि ।।कब।।४।।

                             'जोसमनी सन्त परम्परा र साहित्य' बाट