राज करने की रीत यहीं रही
किंतु नीति नहीं रही।
किसने कहा राजनीति राजनेताओं में हैं?
प्रत्येक मनुष्य में राजनीति है!
प्रत्येक घर में राजनीति है!
प्रत्येक परिवार में राजनीति है!
राजनीति जन – मानस का प्रतीक है,
बिना प्रजा का राजा किस काम?
आज राजनीति में वह नीति नहीं रही
पुलिस में मंत्री का भतीजा तो
अस्पताल में पर्मानेंट सेक्रेटेरी का साला
न्याय,
समता,
अधिकार
ये सब केवल कागज़ पर लिखे
कुछ शब्दों के अलावा कुछ नहीं।
राजनीति मार्ग नहीं लक्ष्य बना हुआ है
राज करने की रीति यहीं रही
किंतु नीति नहीं रही।