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राजविद्या / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

जन्म सफल
सद्गुरू केॅ पाय केॅ
राज-विद्या सें ।

राज-विद्या तेॅ
अतिगोपनीय छै
अति पावन ।

राज-विद्या तेॅ
प्रत्यक्ष अनुभूति
साधक पावै ।

धारणीय छै
सुखद, करणीय
अव्यय भी छै ।

हम्में अपनैलौं
तोंय भी अपनावोॅ
राज-विद्या केॅ ।