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राम-नाम-महिमा / तुलसीदास/ पृष्ठ 7


राम-नाम-महिमा-6
 
 (101)
 
साँची कहौं , कलिकाल कराल! मैं ढारो-बिगारो तिहारेा कहा है।
कामको , कोहको , लोभको , मोह को मोहिसों आनि प्रपंचु रहा है।।

हौ जग नायकु लायक आज , पै मेरिऔ टेव कुटेव महा ळें
 जानकीनाथ बिना ‘तुलसी’ जग दूसरेसों करिहौं। न हहा है।।

(102)

भागीरथी-जलु पान करौं ,अरू नाम कै रामके लेत निते हौं।
मोको न लेेनो , न देनो कछू , कलि! भूलि न रावरी ओर चितैहौं।।

जानि कै जोरू करौ, परिनाम तुम्हैं पछितैहौ , पै मैं न भितैहौं।।

जानि कै जोरू करौ, परिनाम तुम्हैं पछितैहौ , पै मैं न भितैहौं।।
 ब्राह्मन ज्यों उगिल्यो उरगारि, हौं त्यों हीं तिहारें हिएँ न हितैहौं।।