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रिश्ते / रति सक्सेना

कुछ रिश्ते
तपती रेत पर बरसात से
बुझ जाते हैं
बनने से पहले

रिश्ते
ऐसे भी होते हैं
चिनगारी बन
सुलगते रहतें हैं जो
जिंदगी भर

चलते साथ
कुछ कदम
कुछ रुक जाते हैं
बीच रास्ते

रिश्ते होते हैं कहाँ
जो साथ निभाते हैं
सफर के खत्म होने तक..