इन्हीं बियाबानों में कहीं
अपने जीवन के सबसे ज़हरीले आँसू
बहा देना चाहता हूँ मैं चुपचाप
ताकि यहाँ के विशाल वृक्षों पर
खोंता बना के रहने वाली
बिरह की मारी हुई देसी-परदेसी चिड़ियाओं के सिवा
कोई भी जान न सके...
मेरे रोने का आहत स्वर..!
इन्हीं बियाबानों में कहीं
अपने जीवन के सबसे ज़हरीले आँसू
बहा देना चाहता हूँ मैं चुपचाप
ताकि यहाँ के विशाल वृक्षों पर
खोंता बना के रहने वाली
बिरह की मारी हुई देसी-परदेसी चिड़ियाओं के सिवा
कोई भी जान न सके...
मेरे रोने का आहत स्वर..!