रक्तदान में जिनके
लहू काम आए
झेल रहे धमनी में
रेंगती हवाएँ
मौत सरक आई है
क्रमशः सिरहाने
धोखे भी बचे सिर्फ़
आने-दो आने
शोक-वस्त्र पहन रहीं
नर्तकी प्रथाएँ
’फ़्लैश गन’ चमकती हैं
तो चेहरे चमके
झूल रहीं दो बाँहें
झूल रहे तमगे
जिन पर उत्कीर्ण हैं
दधीची की कथाएँ
शतरंजी चालों के
तेवर हैं सादे
फ़रजी की चाल चलें
कल तक के प्यादे
बचे-खुचे गोट नियम
खेल के निभाएँ