रोज सवेरे गाना गाती
मेरी खिड़की पर चिड़िया
मीठे मीठे सपनों में जब
खोया रहता हूँ मैं
परी लोक के फूल घरों में
सोया रहता हूँ मैं।
चोंच मारकर मुझे जगाती
मेरी खिड़की पर चिड़िया।
भोर लुटाए जब उजियारा
फूलों में मुस्कान भरे
रंग रंगीली चंचल तितली
बगिया के आंगन उतरे।
चीं चीं-चीं चीं राग सुनाती
मेरी खिड़की पर चिड़िया।