रोशनी फूटेगी निश्चित रूप से।
हम लड़ेंगे कल व्यवस्थित रूप से॥
पारदर्शी है क्षितिज की भंगिमा।
इसको मत देखो सशंकित रूप से॥
हमको पहचानो तुम्हारे वक्ष में।
हम चुभे हैं सारगर्भित रूप से॥
सामयिक हैं सब शिशिर की दहशतें।
आग दहकेगी अबाधित रूप से ॥
जानते हैं सब तुम्हें अच्छी तरह ।
क्या मिलेगा इस प्रचारित रूप से।