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रौशन है / कमलेश द्विवेदी

वो आया घर रोशन है.
दीवारो-दर रौशन है.

उसको देख लगे जैसे-
चाँद ज़मीं पर रौशन है.

उसके ख़त का क्या कहना-
अक्षर-अक्षर रौशन है.

रात अमावस वाली है,
गाँव-गली-घर रौशन है.

प्यार का दीपक ताजमहल,
पत्थर-पत्थर रौशन है.

जब अपना दिल रौशन हो,
तो दुनिया भर रौशन है.