(लता)
सकुचाई -सी
लिपटती ही गई
लता पेड़ से
(याद)
यादों के मेले
हैं अब साथ तेरे
नहीं अकेले
(मिलन )
महका गया
मेरा तन-मन ये
तेरा मिलन
(स्नेह रंग)
स्नेह का रंग
बरसे कुछ ऐसे
छूटे ना अंग
(विदा की घड़ी)
सुबक पड़ी
कैसी थी वो निष्ठुर
विदा की घड़ी