लौटना होता है
अन्ततः हर किसी को
खोल में अपने।
कितनी दुनिया सिमट आती है
खोल में इस बीच
और फेल जाता है
कितना सूनापन दुनिया में !
(1990)
लौटना होता है
अन्ततः हर किसी को
खोल में अपने।
कितनी दुनिया सिमट आती है
खोल में इस बीच
और फेल जाता है
कितना सूनापन दुनिया में !
(1990)