बिख्यात अवधी कवि वंशीधर शुक्ल कै जनम सन १९०४ मा भा रहा।
गाँव : मन्योरा। जिला : खीरी-लखीमपुर/अवध। सुकुल जी के पिता जी कै नाव सिरी ्छेदीलाल शुक्ल रहा। छेदीलाल जी अपने समय क्यार अल्हैत रहे औ दूर-दूर ले आल्हा गावै जात रहे। कवि रहे।
छेदीलाल जी कै १९१६ ई. मा असामयिक देहावसान होइ गा। बप्पा के यहि तिना काल कौलित होइ जाये से वंशीधर जी कै पढ़ायिउ-लिखाई भँवर मा पड़ि गै।
इस्कूली पढ़ाई अठईं तक किहिन मुला स्वाध्याय के बलबूते संस्कृत-उर्दू-हिन्दी-अंग्रेजी कै ग्यान अर्जित किहिन। कविता करै कै सुरुआत बहुत पहिलेन से सुरू कै दिहे रहे। यहिसे कीरति आस-पड़ोस मा फैलति गै।
गाँधी जी के आंदोलन मा सामिल भये। कयिउ बार जेल गये। समाजबादी रुझान कै मनई रहे।
गरीबन के ब्यथा औ किसानन के व्यथा से इनकै काव्य भरा पड़ा है।
‘उठो सोने वालों सबेरा हुआ है..’ यनही कै लिखा आय। ‘उठ जाग मुसाफिर भोर भई..’ यनहीं लिखिन।
वंशीधर जी लखीमपुर खीरी से बिधानसभा सदस्यौ रहे: १९५९-१९६२ मा।
हुजूर केरी रचनावली ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान-लखनऊ’ से आय चुकी है।
अपरैल-१९८० मा आजादी केर सिपाही औ अवधी साहित्त कै अनन्य उपासक वंशीधर शुक्ल जी ७६ साल की उमिर मा ई दुनिया छोड़ि दिहिन। अवधी कवि वंशीधर